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आदर्श चुनाव आचार संहिता किसे कहते हैं? What is Election Code of Conduct ? in Hindi

आदर्श चुनाव आचार संहिता किसे कहते हैं What is Election Code of Conduct in Hindi

आदर्श चुनाव आचार संहिता किसे कहते हैं? What is Election Code of Conduct ?

भारत का चुनाव आयोग एक स्थायी और स्वतंत्र निकाय है. यह देश में संसद, राज्य विधान मंडल, भारत के राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के पदों के लिए चुनाव से सम्बंधित सभी कार्यों के लिए जिम्मेदार है.

आचार संहिता का क्या अर्थ होता है?

भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव से सम्बंधित दिशा निर्देश बनाये जाते हैं. इन नियमों को चुनाव आदर्श आचार संहिता कहा जाता है. आदर्श आचार संहिता में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों और अधिकारियों के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश होते हैं कि उनको चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कौन से कार्य करने हैं और कौन से नहीं.सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए सामान्य आचार इस प्रकार हैं;

1. कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार जाति और धर्म के आधार पर वोट नही मांग सकता है. इसी कारण मंदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों और अन्य पूजा स्थलों का प्रयोग चुनाव प्रचार के लिए नही किया जायेगा.

2. कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिससे कि विभिन्न जातियों, धर्मों के लोगों के बीच घृणा और तनाव का माहौल पैदा हो.

3. राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अपने विपक्षी दलों की नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना करने का अधिकार होगा लेकिन इसमें किसी उम्मीदवार के निजी जीवन या परिवार के ऊपर कोई भी टिप्पणी करने की छूट नही होगी।

4. मतदाताओं को धमकाना, घूस देना, मतदान केन्द्रों से 100 मीटर की परिधि में चुनाव प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के 48 घंटे के भीतर सार्वजानिक सभा का आयोजन करने और मतदाताओं को वोट डालने के लिए ले जाने और लाने के लिए वाहन की व्यवस्था इत्यादि काम करना प्रतिबंधित है.

5. कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार; किसी के मकान, भूमि, दीवार इत्यादि का प्रयोग बैनर लगाने, लाउड स्पीकर लगाने का काम संपत्ति के मालिक की मंजूरी के बिना नही करेगा.

6. किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को विपक्षी दल के जुलूस में बाधा डालने, उनकी सभा में अपना पर्चा बांटने और सभा को बंद करने जैसे काम करने की अनुमति नहीं होगी.7. राजनीतिक दल या उम्मीदवार को किसी भी जगह पर सभा का आयोजन करने से पहले उस क्षेत्र की पुलिस या सम्बंधित अधिकारी से अनुमति लेनी होगी ताकि यातायात और अन्य जरूरी इंतजाम किये जा सकें.

8. यदि कोई दल या उम्मीदवार जुलूस का आयोजन करने वाला है तो इसका मार्ग क्या होगा, जुलूस किस समय शुरू होगा और किस जगह कितनी देर आयोजन होगा, इसकी पूरी जानकारी शासन को देनी होगी, और इसमें किसी तरह का परिवर्तन नही होगा.

9. राजनीतिक दल या उम्मीदवार सुनिश्चित करेंगे कि मतदान के दिन मतदाताओं को दी गयी पर्ची सादे कागज पर होगी और उसमे किसी दल या उम्मीदवार का नाम और पार्टी का निशान अंकित नही होगा.10. मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले से मतदाताओं को शराब इत्यादि नही बांटी जानी चाहिए.

11. सत्ताधारी दल के मंत्री चुनावी दौरों के दौरान सरकारी तंत्र जैसे सरकारी कर्मचारियों, वाहनों, सरकारी भवनों का प्रयोग चुनाव के लिए नहीं करेंगे.

12. सार्वजानिक स्थलों, हेली-पैडों एवं हवाई जहाजों के ऊपर सत्ताधारी दल का एकाधिकार नहीं होगा, अन्य दलों के उम्मीदवार भी इनका प्रयोग उन्हीं शर्तों के साथ कर सकेंगे जैसा कि सत्ताधारी दल कर रहा है.

13. सरकारी खर्च पर कोई भी विज्ञापन समाचार पत्रों एवं जन संचार माध्यमों से जारी नही किया जायेगा और चुनाव के दौरान सरकारी जन माध्यमों का प्रयोग सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए नही किया जायेगा.14. मंत्री एवं अन्य अधिकारीगण, चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद विवेकाधीन निधि से किसी प्रकार का भुगतान या अनुदान नहीं दे सकते हैं.

15. जब चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तारीख की घोषणा हो जाये मंत्री और अधिकारी निम्न कार्य नही कर सकते हैं;

a. किसी भी प्रकार के वित्तीय अनुदान या किसी नयी योजना की घोषणा नही कर सकते हैं.

b. किसी भी प्रकार के वित्तीय अनुदान अथवा वादे की घोषणा नही कर सकते हैं.

c. बिजली, पानी, सड़क, स्कूल और अस्पताल जैसी कोई नई घोषणा नही कर सकते हैं.

d. सरकार या किसी विभाग में कोई तदर्थ (Ad hoc) नियुक्ति नहीं कर सकते हैं.

आचार संहिता कितने दिन पहले लगती है?

चुनाव आयोग; चुनाव कराने के लिए ऐसी तिथि की घोषणा करता है जो कि सामान्यतः चुनावों की अधिसूचना जारी होने की तिथि के 3 सप्ताह पहले पड़ती हो.

ऊपर दिए गए बिन्दुओं को पढने के बाद आप समझ गए होंगे कि चुनाव आयोग देश में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए कितने आवश्यक उपायों को अपनाता है. हालाँकि व्यवहार में यह देखा गया है कि चुनाव आयोग द्वारा बनाये गए नियम पूरी तरह से अमल में नहीं लाये जाते हैं जिससे कई बार इसकी स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह लगाया जा चुका है.

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