जानिए 13 पॉइंट और 200 पॉइंट रोस्टर क्या है और दोनों में क्या अंतर है? || What is 13 Point Roster System and 200 Point Roster System
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की वेबसाइट के अनुसार 18 फरवरी,2019 को भारत_में_कुल_यूनिवर्सिटीज_की_संख्या_903 थी, जिसमें केंद्रीय यूनिवर्सिटीज 48, स्टेट यूनिवर्सिटीज 399, प्राइवेट यूनिवर्सिटीज 330 और डीम्ड प्राइवेट यूनिवर्सिटीज 126 थीं. इन यूनिवर्सिटीज में भारत सरकार द्वारा तय नियमों के अनुसार समाज के विभिन्न वर्गों को आरक्षण भी दिया जाता है.
रोस्टर_क्या_होता_है?
रोस्टर; यूनिवर्सिटीज में वैकेंसी जारी करना का एक तरीका होता है जिससे यह निर्धारित किया जाता है किसी विभाग में निकलने वाली वेकंसी किस वर्ग (जनरल, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति या जनजाति) को मिलेगी. इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि शिफ्ट चार्ट, ड्यूटी चार्ट या फिर रोस्टर.
पहले_नियम_क्या_था?
जब देश में 200 पॉइंट रोस्टर लागू था तब यूनिवर्सिटी को एक इकाई माना जाता था और पूरी यूनिवर्सिटी में जिनती रिक्तियां निकलती थीं उनको पहले से तय आरक्षण के आधार पर विभिन्न कैटेगरी में बांटा जाता था. लेकिन बाद में यूजीसी ने आरक्षण बाँटने का नियम 200 पॉइंट रोस्टर के स्थान पर 13 प्वाइंट रोस्टर कर दिया और यूजीसी के इस नियम पर इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी थी, बस यहीं से विवाद शुरू हुआ.
200_पॉइंट_रोस्टर_क्या_था?
देश के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की भर्ती 200 पॉइंट रोस्टर के तहत की जाती थी. यह सिस्टम 2007 में लागू हुआ था जब उच्च शिक्षा में OBC आरक्षण लागू हुआ था. इस सिस्टम के तहत पूरे विश्वविद्यालय को एक यूनिट माना जाता है और फिर सीटों को विभिन्न कैटेगरी में बांटा जाता था.
इस सिस्टम के 200 होने के पीछे का कारण 7.5% ST आरक्षण को 15% के राउंड फिगर में करने के लिए बेस को 100 से दुगुना करके 200 किया गया यानि की आनुपातिक आधार पर प्रत्येक 14 वां पद ST को जाने से 200 पदों में से 7.5% आरक्षण ST को मिल जायेगा.
इसी प्रकार प्रत्येक 7वां पद SC को मिलेगा जिससे 200 पद होने से SC को निर्धारित 15% आरक्षण मिल जायेगा और प्रत्येक चौथा पद OBC को दिया जायेगा जिससे 200 सीटों में से 27% पद OBC को मिल जायेंगे. इस सिस्टम में केवल 3 सीटें होने पर कोई आरक्षण नहीं दिया जाता है.
मान लीजिए कि इस सिस्टम में अगर कैटिगरी के हिसाब से पदों का विभाजन करना हो तो संख्या 200 तक जाएगी. इसके बाद यह फिर से 1,2,3,4 संख्या से शुरू हो जाएगी.
अर्थात अब जब आंकड़ा 200 तक जाएगा तो ज़ाहिर है कि इसमें आरक्षित वर्ग (ओबीसी, एससी, एसटी) के लिए पद ज़रूर आयेंगे.
13_पॉइंट_रोस्टर_सिस्टम_क्या_है?
13 पॉइंट रोस्टर एक ऐसा सिस्टम है जिसमें 13 नियुक्तियों को क्रमबध तरीके से दर्ज किया जाता है. इसमें विश्वविद्यालय को इकाई (यूनिट) न मानकर विभाग को इकाई माना जाता है. यानी इस व्यस्था के तहत शिक्षकों के कुल पदों की गणना विश्वविद्यालय या कॉलेज के अनुसार न करके विभाग या विषय के हिसाब से की जाती है.
उदाहरण: मान लीजिए कि किसी विभाग में 4 वेकेंसी निकली हैं तो उसमें से पहली तीन वेकेंसी जनरल वर्ग के लिए होंगी जबकि चौथी वेकेंसी ओबीसी वर्ग के लिए होगी. इसके बाद जब अगली वेकेंसी आएंगी तो वो 5 से काउंट होंगी. यानी पांचवी और छठी वेकेंसी अनारक्षित वर्ग के लिए तो सातवीं अनुसूचित जाति के लिए होगी. इसी तरह फिर आठवीं, नौवीं और दसवीं वेकेंसी अनारक्षित (सामान्य वर्ग) के लिए तो 12वीं वेकेंसी ओबीसी के लिए. यह क्रम 13 तक ही चलेगा और 13 के बाद फिर से 1 नंबर से शुरू हो जाएगा. अर्थात इस सिस्टम में OBC, SC और ST के लिए सीटें कम या लगभग ख़त्म हो रहीं हैं.
13_पॉइंट_रोस्टर_सिस्टम_का_विरोध_क्यों_हुआ?
हम सभी देखते रहते हैं कि विश्वविद्यालयों एक डिपार्टमेंट में वेकेंसी बहुत कम संख्या (अधिकतर 4 या 5) में निकलतीं हैं इस स्थिति में पिछड़ा वर्ग, SC और ST के लिए विश्वविद्यालयों में नौकरी पाना असंभव ही हो जायेगा. जबकि इस तरह की समस्या 200 पॉइंट रोस्टर सिस्टम के समय नहीं आती थी और 50% आरक्षण_विभिन्न_वर्गों_को_मिल_जाता था.
आप समझ गए होंगे कि 13 पॉइंट रोस्टर और 200 पॉइंट रोस्टर सिस्टम क्या है और इसका विरोध क्यों हो रहा है.