Home » Blogs » Read Blogs » Difference between Naga Sadhu and Aghori Baba in Hindi? नागा साधु और अघोरी बाबा में क्या अंतर होता है?

Difference between Naga Sadhu and Aghori Baba in Hindi? नागा साधु और अघोरी बाबा में क्या अंतर होता है?

नागा साधु और अघोरी बाबा में क्या अंतर होता है Difference between Naga Sadhu and Aghori Baba in Hindi
नागा साधु और अघोरी बाबा में क्या अंतर होता है? Difference between Naga Sadhu and Aghori Baba in Hindi?
जैसा की हम जानते हैं कि हन्दू धर्म में कई प्रकार के साधु संत होते हैं. इनमें से ही हैं नागा साधु और अघोरी बाबा. अकसर कुंभ में नागा साधु देखे जाते हैं. कुंभ के दौरान कई लोग इन नागा साधुओं से उनके अखाड़ों में मिलने भी जाते हैं. देखने में अघोरी और नागा साधु एक जैसे ही लगते हैं. लेकिन ये अलग-अलग होते हैं. देखा जाए तो नागा साधु और अघोरी बाबा के पहनावे से लेकर इनके तप करने के तरीके, रहन-सहन, साधना, तपस्या और साधु बनने की प्रक्रिया में काफी अंतर होता है. इसमें कोई संदेह नहीं है की ये साधु बाकी अन्य साधुओं से अलग दिखते हैं. इसलिए भी तो लोग नागा साधु और अघोरी बाबा को एक समझ लेते हैं. आखिर नागा साधु और अघोरी बाबा के बीच क्या अंतर होता है. नागा_साधु_और_अघोरी_बाबा_में_अंतर Difference between Naga Sadhu and Aghori Baba in Hindi? 1. नागा साधु और अघोरी बाबा को काफी कठिन प्रोक्षाओं से गुजरना पड़ता है. साधु बनने में लगभग इनकों 12 साल का वक्त लगता है. नागा साधु बनने के लिए अखाड़ों में रहा जाता है और कठिन से कठिन परीक्षाएं देनी पड़ती हैं. परन्तु अघोरी बनने के लिए श्मशान में तपस्या करनी पड़ती है और जिंदगी के कई साल काफी कठिनता के साथ श्मशान में गुजारने पड़ते हैं. 2. नागा साधु बनने के लिए गुरु का निर्धारण करना अनिवार्य होता है. वह अखाड़े का प्रमुख या कोई भी बड़ा विद्वान हो सकता है. गुरु की दिक्षा और शिक्षा में ही नागा साधु बनने की प्रक्रिया पूर्ण होती है. गुरु की सेवा करके उनकी देखरेख में ही नागा साधु के अगले पड़ाव पर पहुंचा जाता है. दूसरी तरफ अघोरी बनने के लिए कोई गुरु का निर्धारण नहीं किया जाता है. उनके गुरु स्वयं शिव भगवान होते हैं. क्या आप जानते हैं कि अघोरियों को शिव भगवान का पांचवा अवतार माना जाता है. अघोरी श्मशान में मुर्दे के पास बैठकर तपस्या करते हैं और ऐसा कहा जाता है कि उनको दैवीय शक्तियों की प्राप्ति भी वहीं होती है. 3. नागा साधु और अघोरी बाबा दोनों ही मांसाहारी होते हैं. कुछ शाकाहारी भी नागा साधुओं में पाए जाते हैं. ऐसी मानयता है कि अघोरी न केवल जानवरों का मांस खाते हैं बल्कि ये इंसानों के मांस का भी भक्षण करते हैं. श्मशान में ये मुर्दों के मांस का भक्षण करते हैं. अघोरी को शिव का ही रूप माना जाता है. इसलिए ऐसी मानयता है कि अघोरी कलयुग में भगवान शिव का जीवित रूप हैं. 4. क्या आप जानते हैं कि नागा साधु और अघोरी बाबा के पहनावे में क्या अंतर होता है. नागा साधू कपड़ों के बिना रहते हैं और वहीं अघोरी साधु जानवरों की खाल से अपने तन का निचला हिस्सा ढकते हैं. शिव भगवान की तरह ही ये जानवरों की खाल को पहनते हैं. 5. अकसर नागा साधुओं के दर्शन कुंभ मेले में या उनके अख्दाओं में हो जाया करते हैं. लेकिन अघोरी बाबा अधिकतर कहीं भी नज़र नहीं आते हैं. ये केवल श्मशान में ही वास करते हैं. जैसा की हम देखते हैं कि नागा साधू कुंभ मेले में भी काफी हिस्सा लेते हैं और फिर हिमालय में चले जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि नागा साधू के दर्शन करने के बाद अघोरी बाबा के दर्शन करना भगवान् शिव के दर्शन करने के बराबर है. अघोरी श्मशान में तीन तरीके से साधना करते हैं – श्मशान_साधनाशव_साधना और शिव_साधना. इस पंथ को साधारणत: ‘औघड़पनथ’ भी कहा जाता है. 6. नागा साधू और अघोरी बाबा की तपस्या जितनी कठिन होती है उतना ही उनके पास काफी अद्भुत शक्तियाँ भी होती हैं. नागा साधू मनुष्यों को भगवान की विशेष कृपा के बारे में बताते हैं वहीं अघोरी बाबा अपनी तांत्रिक सिद्धि से मनुष्यों की समस्याओं का निवारण करते हैं. जीवन को जीने का अघोरपंथ का अपना ही अलग अंदाज है. अघोरपंथी साधक ही अघोरी कहलाते हैं. 7.इसमें_कोई_संदेह_नहीं है कि नागा साधु और अघोरी बाबा परिवार से दूर रहकर पूर्ण ब्रह्मचार्य का पालन करते हैं. साधु बनने की प्रक्रिया में जीवित होते हुए भी अपने परिवार वालों का त्याग करना होता है अर्थात ये अपना श्राद्ध तक कर देते हैं. अपनी तपस्या के दौरान ये कभी भी अपने परिवार जनों से नहीं मिलते हैं. क्योंकि ऐसा कहा जाता है की साधना के दौरान मोह-माया का त्याग जरुरी है. यानी अघोरी उन्हें कहा जाता है जिनके भीतर से अच्छे-बुरे, सुगंध-दुर्गन्ध, प्रेम-नफरत, ईर्ष्या-मोह जैसे सारे भाव मिट जाएं. क्या_आप_जानते_हैं कि विलियम क्रुक के अनुसार अघोरपंथ के सर्वप्रथम प्रचलित होने का स्थान राजपूताना के आबू पर्वत को कहा गया है परन्तु इनके प्रचार का पता नेपाल, गुजरात एवं समरकंद जैसे दूर स्थानों तक भी चलता है और इनकी अनुयायियों की संख्या भी कम नहीं है. तो हम कह सकते हैं कि भले ही ये साधु एक जैसे दीखते हों परन्तु इनमें कई अंतर होते हैं चाहे वो वेशभूषा को लेकर हो या रहन-सहन या भोजन इत्यादि.
Download Free Study Material For each and every competitive exam. Subject wise Links for  Handwritten Class Notes in Hindi and English
History Notes –  ClickGeography Notes – Click
Indian Polity Notes – ClickEconomics Notes – Click
General Science Notes – ClickCurrent Affairs Notes – Click
Maths Notes – ClickReasoning Notes – Click
English Grammar Notes – ClickGeneral Hindi Notes – Click
Science and Tech Notes – ClickArt and Culture Notes – Click
Psychology Notes – ClickEnvironment and Ecology – Click
Sanskrit Notes- ClickEthics Notes – Click
Computer Awareness – ClickBanking Awareness Notes – Click
International Relations – ClickImportant Questions PDF – Click
General Knowledge PDF – Click
Share

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top
Scroll to Top